परिचय
भारत में प्लास्टिक प्रदूषण एक गंभीर पर्यावरणीय संकट बन चुका है। इसका असर न केवल हमारे प्राकृतिक संसाधनों पर पड़ रहा है, बल्कि मानव स्वास्थ्य और पशु जीवन पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने “प्लास्टिक मुक्त भारत मिशन” (Plastic Free India Mission) की शुरुआत की है। इस मिशन का उद्देश्य भारत को सिंगल यूज़ प्लास्टिक से मुक्त कर एक स्वच्छ, हरित और टिकाऊ राष्ट्र बनाना है।
प्लास्टिक मुक्त भारत मिशन का उद्देश्य
मुख्य उद्देश्य
- सिंगल यूज़ प्लास्टिक का उन्मूलन करना।
- प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन में सुधार लाना।
- पुनः उपयोग और पुनर्चक्रण को बढ़ावा देना।
- सार्वजनिक जागरूकता फैलाना और लोगों को जिम्मेदार उपभोक्ता बनाना।
प्लास्टिक के उपयोग की समस्या
प्लास्टिक से होने वाले नुकसान
- पर्यावरणीय क्षति: प्लास्टिक वर्षों तक नष्ट नहीं होता और भूमि व जल स्रोतों को प्रदूषित करता है।
- मानव स्वास्थ्य पर असर: प्लास्टिक के माइक्रोपार्टिकल्स भोजन और पानी में मिलकर कैंसर, हार्मोनल असंतुलन आदि समस्याएं उत्पन्न करते हैं।
- प्राणियों की मृत्यु: समुद्री जीव-जंतु और जानवर प्लास्टिक खाने से बीमार होते हैं या मर जाते हैं।
प्लास्टिक मुक्त भारत मिशन की शुरुआत और पृष्ठभूमि
यह मिशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2 अक्टूबर 2019 को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर आरंभ किया गया था। इस मिशन को स्वच्छ भारत अभियान के विस्तार के रूप में देखा जाता है, जिसका लक्ष्य है एक स्वच्छ और सतत विकासशील भारत का निर्माण।
प्लास्टिक मुक्त भारत मिशन के अंतर्गत किए गए प्रमुख कार्य
नीति और नियम
- सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर चरणबद्ध प्रतिबंध।
- नगरपालिकाओं को प्लास्टिक कचरा प्रबंधन के लिए निर्देश जारी।
- व्यापारिक संस्थानों पर सख्त नियंत्रण और जुर्माना।
- प्लास्टिक निर्माण इकाइयों के लिए लाइसेंसिंग प्रणाली।
जन भागीदारी और जागरूकता
- स्कूल, कॉलेज, और सामाजिक संस्थाओं में जागरूकता कार्यक्रम।
- “No Plastic” अभियान और प्लॉग रन का आयोजन।
- डिजिटल और सोशल मीडिया कैंपेन।
प्लास्टिक के विकल्प
जैविक और पुनः उपयोग योग्य विकल्प
- कपड़े या जूट के थैले: खरीदारी के लिए बेहतर विकल्प।
- कागज या पत्तों से बने प्लेट, ग्लास और चम्मच।
- कांच या धातु की बोतलें।
- बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक (Biodegradable plastic): विशेष परिस्थितियों में उपयोगी।
राज्यों और नगरपालिकाओं की भूमिका
राज्य सरकारों द्वारा उठाए गए कदम
- महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने सख्त प्रतिबंध लगाए हैं।
- दिल्ली और बेंगलुरु जैसे शहरों में प्लास्टिक मुक्त क्षेत्र घोषित किए गए हैं।
- ग्राम पंचायत स्तर पर जन जागरूकता के अभियान चलाए गए।
प्लास्टिक मुक्त भारत मिशन में निजी क्षेत्र की भागीदारी
कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (CSR)
- कई कंपनियों ने अपने CSR के तहत प्लास्टिक रीसायक्लिंग प्लांट स्थापित किए हैं।
- ई-कॉमर्स कंपनियां प्लास्टिक पैकेजिंग से हटकर बायोडिग्रेडेबल पैकेजिंग को अपना रही हैं।
- बड़े रिटेल ब्रांड्स ने ग्राहकों को थैले लाने के लिए प्रोत्साहित किया है।
चुनौतियाँ और समाधान
मुख्य चुनौतियाँ
- सस्ते और सुलभ प्लास्टिक के विकल्पों की कमी।
- ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी।
- कचरा प्रबंधन व्यवस्था का अभाव।
- उद्योग जगत से प्रतिरोध।
संभावित समाधान
- सरकारी अनुदान और प्रोत्साहन से वैकल्पिक उत्पादों का उत्पादन बढ़ाना।
- स्कूल स्तर से शिक्षा और प्रशिक्षण देना।
- बेहतर कचरा संग्रहण और रीसायक्लिंग नेटवर्क बनाना।
- सख्त जुर्माना और कानूनों का पालन कराना।
प्लास्टिक मुक्त भारत के लिए नागरिकों की भूमिका
आम जनता कैसे योगदान दे सकती है?
- सिंगल यूज़ प्लास्टिक का प्रयोग बंद करें।
- थैला और पानी की बोतल अपने साथ रखें।
- बच्चों को प्लास्टिक के दुष्परिणामों के बारे में सिखाएं।
- अपने आसपास के लोगों को जागरूक करें।
भविष्य की योजना और दिशा
भारत का लक्ष्य
भारत ने 2022 तक सिंगल यूज़ प्लास्टिक को पूरी तरह से समाप्त करने का लक्ष्य रखा था। हालांकि अभी भी इस दिशा में प्रगति जारी है। भविष्य में:
- स्मार्ट सिटी परियोजनाओं में प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन को प्रमुखता दी जाएगी।
- हर गांव और कस्बे को प्लास्टिक मुक्त घोषित करने की योजना बनाई जाएगी।
- निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों के बीच समन्वय को और मजबूत किया जाएगा।
निष्कर्ष
प्लास्टिक मुक्त भारत मिशन केवल एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि यह एक जन आंदोलन है जिसमें हर नागरिक की भागीदारी आवश्यक है। जब प्रत्येक व्यक्ति अपने स्तर पर प्लास्टिक का उपयोग कम करेगा, तभी यह मिशन सफल होगा। एक स्वच्छ, सुंदर और टिकाऊ भारत के लिए हमें मिलकर प्रयास करना होगा।