परिचय
G-7 (Group of Seven) विश्व की सात प्रमुख औद्योगिक और विकसित अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह है, जो वैश्विक आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर विचार-विमर्श और नीति निर्माण के लिए एक प्रमुख मंच प्रदान करता है। यद्यपि भारत G-7 का स्थायी सदस्य नहीं है, लेकिन हाल के वर्षों में उसकी भागीदारी और प्रभाव इस मंच पर तेजी से बढ़ा है। भारत को बार-बार अतिथि देश के रूप में आमंत्रित किया गया है, जो वैश्विक कूटनीति में उसकी उभरती हुई भूमिका को दर्शाता है।
मुख्य कीवर्ड्स: भारत और G7, G-7 शिखर सम्मेलन, वैश्विक कूटनीति, वैश्विक आर्थिक मंच, अंतरराष्ट्रीय सहयोग, भारत की भूमिका
G-7 समूह क्या है?
G-7 का गठन और उद्देश्य
- G-7 की स्थापना 1975 में हुई थी
- प्रारंभ में यह छह देशों (फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन, अमेरिका) का समूह था
- 1976 में कनाडा के जुड़ने से यह G-7 बना
- यह एक अनौपचारिक मंच है, जहाँ सदस्य देश आर्थिक नीतियों, सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और तकनीकी विकास जैसे मुद्दों पर विचार करते हैं
G-7 के सदस्य देश:
- अमेरिका
- ब्रिटेन
- फ्रांस
- जर्मनी
- इटली
- कनाडा
- जापान
(+ यूरोपीय संघ एक पर्यवेक्षक सदस्य के रूप में)
भारत और G-7: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भारत की G-7 में भागीदारी
- भारत G-7 का स्थायी सदस्य नहीं है
- लेकिन उसे अतिथि देश (Guest Country) के रूप में कई बार आमंत्रित किया गया है
- भारत की भागीदारी विशेषकर उन मुद्दों पर होती है जो वैश्विक अर्थव्यवस्था, जलवायु परिवर्तन, डिजिटल तकनीक, और सुरक्षा से संबंधित होते हैं
प्रमुख वर्ष और शिखर सम्मेलन:
वर्ष | स्थान | भारत की भूमिका |
---|---|---|
2005 | स्कॉटलैंड | तत्कालीन PM मनमोहन सिंह अतिथि के रूप में शामिल |
2019 | फ्रांस | PM नरेंद्र मोदी ने जलवायु और डिजिटल क्षेत्र में विचार साझा किए |
2021 | ब्रिटेन | भारत ने वैक्सीन, जलवायु और मुक्त समाजों पर चर्चा की |
2022 | जर्मनी | भारत ने ऊर्जा सुरक्षा और वैश्विक खाद्य आपूर्ति पर योगदान दिया |
2023 | जापान (हिरोशिमा) | भारत ने ग्लोबल साउथ की आवाज बनकर प्रतिनिधित्व किया |
भारत की भागीदारी के प्रमुख विषय
1. जलवायु परिवर्तन और हरित ऊर्जा
- भारत ने LiFE (Lifestyle for Environment) अभियान प्रस्तुत किया
- G-7 देशों को विकासशील देशों के लिए हरित फंडिंग उपलब्ध कराने की मांग की
- अक्षय ऊर्जा जैसे सौर ऊर्जा, हाइड्रोजन मिशन में भारत की अग्रणी भूमिका
2. वैश्विक स्वास्थ्य और कोविड-19
- भारत ने महामारी के दौरान वैक्सीन मैत्री के तहत दुनिया के कई देशों को टीके भेजे
- G-7 मंच पर भारत ने स्वास्थ्य अवसंरचना और वैश्विक सहयोग की वकालत की
3. डिजिटल तकनीक और साइबर सुरक्षा
- भारत की डिजिटल इंडिया पहल को वैश्विक सराहना मिली
- डिजिटल वित्तीय समावेशन, डेटा सुरक्षा और साइबर सुरक्षा में भारत की भूमिका उल्लेखनीय रही
4. वैश्विक सुरक्षा और आतंकवाद
- भारत ने G-7 मंच पर आतंकवाद के विरुद्ध संपूर्ण वैश्विक रणनीति की आवश्यकता बताई
- कट्टरवाद, सीमा पार आतंकवाद और साइबर आतंक जैसे मुद्दों पर भारत की स्पष्ट नीति
5. वैश्विक दक्षिण (Global South) की आवाज
- भारत ने विकासशील देशों की समस्याओं, जैसे ऋण संकट, खाद्य असुरक्षा और जलवायु अन्याय, को जोरदार ढंग से प्रस्तुत किया
- भारत, G-7 और वैश्विक दक्षिण के बीच सेतु की भूमिका निभा रहा है
G-7 में भारत की भूमिका के लाभ
1. वैश्विक मंच पर मान्यता
- भारत की अर्थव्यवस्था, जनसंख्या और रणनीतिक स्थिति के कारण G-7 देशों के लिए उसका सहयोग आवश्यक हो गया है
2. रणनीतिक साझेदारी का विस्तार
- अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, फ्रांस जैसे देशों के साथ द्विपक्षीय समझौते और सहयोग
- रक्षा, तकनीक, जलवायु, और व्यापार में रणनीतिक साझेदारियाँ
3. बहुपक्षीय संस्थाओं में सशक्त आवाज
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसी संस्थाओं में भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी को बल
- IMF, WTO, और अन्य वैश्विक निकायों में भारत का प्रभाव बढ़ा
4. निवेश और तकनीकी सहयोग
- भारत में निवेश के लिए G-7 देश प्रोत्साहित हुए
- स्टार्टअप, स्वच्छ ऊर्जा और डिजिटल सेक्टर में सहयोग
चुनौतियाँ और सीमाएँ
1. G-7 की आंतरिक राजनीति
- सदस्य देशों के हित आपस में भिन्न हो सकते हैं
- इससे सामूहिक निर्णयों में देरी या विफलता हो सकती है
2. सदस्यता का अभाव
- भारत अभी G-7 का पूर्ण सदस्य नहीं है
- अतिथि देश के रूप में उसकी भूमिका सीमित होती है
3. विकासशील देशों की अपेक्षाएँ
- भारत, G-7 मंच पर विकासशील देशों की प्रतिनिधि आवाज बना है
- लेकिन G-7 देशों की आर्थिक प्राथमिकताएं अक्सर अलग होती हैं
भारत और G-20 की तुलनात्मक भूमिका
- भारत G-20 का स्थायी सदस्य है और 2023 में इसकी अध्यक्षता कर चुका है
- G-7 में अभी तक भारत को स्थायी सदस्यता नहीं मिली है
- फिर भी, दोनों मंचों पर भारत का दृष्टिकोण समान रहता है – सबका साथ, सबका विकास
G-7 में भारत की भविष्य की संभावनाएँ
1. स्थायी सदस्यता की संभावना
- भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव को देखते हुए यह मांग उठती रही है
- लेकिन G-7 की संरचना को बदलना कठिन है क्योंकि यह अनौपचारिक समूह है
2. नेतृत्वकारी भूमिका
- भारत डिजिटल, जलवायु, और स्वास्थ्य क्षेत्रों में वैश्विक नेतृत्व की भूमिका निभा सकता है
- खासकर वैश्विक दक्षिण के लिए समाधान-आधारित दृष्टिकोण देने की क्षमता रखता है
3. संयुक्त वैश्विक मंचों पर समन्वय
- भारत G-7, G-20, ब्रिक्स, SCO जैसे मंचों के माध्यम से बहुपक्षीय संवाद का नेतृत्व कर सकता है
- यह विश्व में शक्ति संतुलन को स्थिर करने में मदद करेगा
निष्कर्ष
भारत की G-7 में भागीदारी न केवल उसकी आर्थिक शक्ति और रणनीतिक दृष्टिकोण को दर्शाती है, बल्कि यह भी सिद्ध करती है कि वह वैश्विक मामलों में एक जिम्मेदार, संतुलित और समावेशी नेतृत्व देने में सक्षम है। जलवायु परिवर्तन, तकनीकी नवाचार, वैश्विक स्वास्थ्य, और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर भारत की सक्रिय भूमिका उसे भविष्य के विश्व नेतृत्व के लिए तैयार करती है। यद्यपि G-7 में भारत की स्थायी सदस्यता अब तक नहीं मिली है, फिर भी उसकी आवाज इस मंच पर सशक्त और प्रभावशाली है।