परिचय
जलवायु परिवर्तन आज के समय की सबसे गंभीर वैश्विक समस्याओं में से एक है। पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ रहा है, मौसम की अनिश्चितताएं बढ़ रही हैं, और समुद्र का जलस्तर लगातार ऊँचा हो रहा है। इस संकट से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर अनेक प्रयास किए जा रहे हैं, जिनमें COP सम्मेलन (Conference of Parties) एक प्रमुख मंच है। यह सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में आयोजित किया जाता है, जहां जलवायु परिवर्तन से संबंधित वैश्विक नीतियाँ और लक्ष्यों पर चर्चा की जाती है।
मुख्य कीवर्ड्स: जलवायु परिवर्तन, COP सम्मेलन, पेरिस समझौता, ग्रीनहाउस गैस, वैश्विक तापमान, जलवायु नीति, पर्यावरण संरक्षण
जलवायु परिवर्तन क्या है?
परिभाषा
जब पृथ्वी के वातावरण, महासागरों और भूमि की जलवायु में दीर्घकालिक परिवर्तन होते हैं, विशेष रूप से मानवजनित गतिविधियों के कारण, तो उसे जलवायु परिवर्तन (Climate Change) कहा जाता है।
मुख्य कारण
- ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन (कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड आदि)
- वनों की कटाई
- औद्योगिकीकरण और शहरीकरण
- वाहनों और फैक्ट्रियों से प्रदूषण
- ऊर्जा का जीवाश्म स्रोतों से उत्पादन
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव
1. वैश्विक तापमान में वृद्धि
- पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ रहा है
- गर्मियों की तीव्रता और अवधि बढ़ रही है
2. हिमनदों का पिघलना
- आर्कटिक और हिमालयी क्षेत्रों में बर्फ तेजी से पिघल रही है
- इससे समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है
3. सूखा, बाढ़ और चक्रवात
- मौसम की अनिश्चितता से सूखा, भारी वर्षा और तूफान की घटनाएं बढ़ी हैं
- इससे कृषि, जल स्रोत और मानव जीवन प्रभावित हो रहे हैं
4. जैव विविधता पर प्रभाव
- कई वनस्पतियाँ और प्रजातियाँ विलुप्ति की कगार पर हैं
- पारिस्थितिकी तंत्र असंतुलित हो रहा है
जलवायु परिवर्तन से निपटने के वैश्विक प्रयास
1. संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन रूपरेखा सम्मेलन (UNFCCC)
- वर्ष 1992 में रियो डि जेनेरो में आयोजित पृथ्वी सम्मेलन में UNFCCC की स्थापना हुई
- इसका उद्देश्य ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को सीमित करना है
2. क्योटो प्रोटोकॉल (1997)
- विकसित देशों को ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन घटाने के बाध्यकारी लक्ष्य दिए गए
- भारत जैसे विकासशील देशों को कोई बाध्यता नहीं थी
3. पेरिस समझौता (2015)
- यह COP-21 सम्मेलन में अपनाया गया
- सभी देशों ने वैश्विक तापमान को 2°C से नीचे, और प्रयासपूर्वक 1.5°C तक सीमित करने पर सहमति जताई
- “नेशनली डिटरमाइंड कंट्रीब्यूशन (NDCs)” के माध्यम से देशों ने अपने लक्ष्यों को स्वेच्छा से तय किया
COP सम्मेलन: एक परिचय
COP का पूर्ण रूप:
Conference of the Parties
COP क्या है?
- यह UNFCCC के सदस्य देशों की वार्षिक बैठक होती है
- इसमें जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक रणनीतियाँ, लक्ष्य, फंडिंग और तकनीकी सहयोग पर निर्णय लिए जाते हैं
मुख्य उद्देश्य:
- जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए साझा नीतियाँ बनाना
- विकसित और विकासशील देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना
- वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करना
प्रमुख COP सम्मेलनों का विवरण
1. COP-1 (बर्लिन, 1995)
- पहला COP सम्मेलन
- वैश्विक स्तर पर जलवायु नीतियों के प्रारंभिक फ्रेमवर्क पर चर्चा हुई
2. COP-3 (क्योटो, 1997)
- क्योटो प्रोटोकॉल अपनाया गया
- विकसित देशों के लिए बाध्यकारी उत्सर्जन लक्ष्य तय किए गए
3. COP-21 (पेरिस, 2015)
- पेरिस समझौता अपनाया गया
- सभी देशों को अपने-अपने NDCs प्रस्तुत करने की स्वतंत्रता मिली
- जलवायु अनुकूलन और वित्तीय सहायता पर बल
4. COP-26 (ग्लासगो, 2021)
- तापमान वृद्धि को 1.5°C तक सीमित करने का प्रयास
- कोयले पर निर्भरता घटाने की प्रतिबद्धता
- विकासशील देशों को हर साल 100 अरब डॉलर की मदद देने की बात
5. COP-28 (दुबई, 2023)
- वैश्विक स्टॉकटेक की पहली रिपोर्ट
- जीवाश्म ईंधनों के चरणबद्ध निष्कासन पर चर्चा
- ग्रीन हाइड्रोजन और सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने की पहल
भारत की भूमिका और प्रयास
1. अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA)
- भारत और फ्रांस की पहल पर 2015 में स्थापित
- सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने और क्लीन एनर्जी के प्रसार के लिए
2. भारत के NDC लक्ष्य
- 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य
- 2030 तक गैर-जीवाश्म ऊर्जा से 50% बिजली उत्पादन
- कार्बन उत्सर्जन तीव्रता को 45% तक घटाना
3. “लाइफ मिशन” (LiFE – Lifestyle for Environment)
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल
- पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली को बढ़ावा देना
- ऊर्जा संरक्षण, जल प्रबंधन और प्लास्टिक उन्मूलन पर बल
जलवायु परिवर्तन से निपटने में आम नागरिक की भूमिका
1. ऊर्जा की बचत करें
- LED बल्बों का उपयोग करें
- अनावश्यक बिजली, पंखे बंद करें
2. पौधारोपण करें
- वनों की कटाई रोकें और अधिक पेड़ लगाएं
3. प्लास्टिक का प्रयोग घटाएं
- कपड़े या जूट के बैग अपनाएं
- सिंगल यूज़ प्लास्टिक से बचें
4. जल संरक्षण
- वर्षा जल संचयन करें
- पानी का समुचित उपयोग करें
5. ईको-फ्रेंडली यातायात
- साइकिल, इलेक्ट्रिक वाहन, पब्लिक ट्रांसपोर्ट को प्राथमिकता दें
भविष्य की चुनौतियाँ और समाधान
चुनौतियाँ:
- विकसित और विकासशील देशों के बीच जलवायु न्याय का टकराव
- वैश्विक वित्तीय सहायता में असमानता
- तकनीकी सहयोग की कमी
- जनसंख्या वृद्धि और उपभोग की प्रवृत्ति
समाधान:
- वैश्विक सहयोग और पारदर्शिता
- हरित तकनीक और अक्षय ऊर्जा को अपनाना
- जलवायु शिक्षा और जन-जागरूकता बढ़ाना
- जिम्मेदार उपभोग और पुनर्चक्रण को बढ़ावा देना
निष्कर्ष
जलवायु परिवर्तन और COP सम्मेलन आज के समय में विश्व के सबसे महत्वपूर्ण विषयों में शामिल हैं। COP सम्मेलन वह मंच है जहाँ से वैश्विक दिशा-निर्देश तय होते हैं और देश मिलकर पर्यावरण संरक्षण के लिए साझा कदम उठाते हैं। भारत ने जलवायु नीतियों में नेतृत्वकारी भूमिका निभाई है और “LiFE” जैसे विचारों के माध्यम से पूरी दुनिया को जागरूक करने का प्रयास किया है। अब आवश्यकता है कि सभी देश और नागरिक मिलकर एक हरित और सुरक्षित भविष्य की ओर कदम बढ़ाएं।