अमृत सरोवर योजना


प्रस्तावना

भारत जैसे कृषि प्रधान देश में जल का अत्यधिक महत्व है। जल की उपलब्धता ग्रामीण आजीविका, फसल उत्पादन, पशुपालन और पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता के लिए अत्यावश्यक है। इसी उद्देश्य से भारत सरकार ने “अमृत सरोवर योजना” की शुरुआत की, जिसका लक्ष्य है जल संरक्षण को प्रोत्साहन देना और ग्रामीण क्षेत्रों में जलाशयों का निर्माण एवं पुनर्जीवन करना।

यह योजना आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में “आजादी का अमृत महोत्सव” के अंतर्गत 2022 में शुरू की गई। इसका उद्देश्य देशभर में 75-75 अमृत सरोवरों का निर्माण करना है जिससे न केवल जल का संरक्षण हो, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिले और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण किया जा सके।


अमृत सरोवर योजना क्या है?

योजना का उद्देश्य

अमृत सरोवर योजना का मुख्य उद्देश्य है:

  • देश के हर जिले में 75 जलाशयों (तालाबों) का निर्माण या पुनर्जीवन
  • जल संरक्षण और जल संचयन को बढ़ावा देना
  • पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखना
  • स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना
  • ग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट को दूर करना

योजना की शुरुआत

यह योजना 24 अप्रैल 2022 को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई थी। इसे ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत एक विशेष पहल के रूप में विकसित किया गया है।


अमृत सरोवर योजना के प्रमुख तत्व

1. जलाशयों का निर्माण एवं पुनर्जीवन

योजना के तहत नए जलाशयों का निर्माण किया जाता है और पुराने, उपेक्षित तालाबों को फिर से उपयोगी बनाया जाता है।

2. सामुदायिक सहभागिता

इस योजना को स्थानीय समुदायों की भागीदारी से लागू किया जाता है। पंचायतों, स्कूलों, NSS, स्वयंसेवी संस्थाओं और स्थानीय नागरिकों की भागीदारी से यह योजना प्रभावी रूप से संचालित की जा रही है।

3. आजीविका के अवसर

सरोवर निर्माण में मजदूरी, पौधरोपण, सौंदर्यीकरण और जल प्रबंधन के कार्यों के माध्यम से रोजगार के अवसर उत्पन्न होते हैं।

4. स्थायी विकास की ओर कदम

इस योजना के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यावरणीय संतुलन, जल उपलब्धता और सामुदायिक सहयोग को बढ़ावा मिलता है जो सतत विकास की ओर संकेत करता है।


अमृत सरोवर योजना का कार्यान्वयन

1. क्रियान्वयन एजेंसियाँ

  • राज्य सरकारें एवं जिला प्रशासन
  • ग्राम पंचायतें एवं नगर निकाय
  • जल शक्ति मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय और पर्यावरण मंत्रालय
  • स्वयंसेवी संस्थाएँ, CSR कंपनियाँ और स्थानीय समूह

2. योजना के अंतर्गत कार्य

  • प्रत्येक सरोवर की क्षमता: कम से कम 10,000 घन मीटर जल संचयन
  • सरोवर की सीमा पर झंडा स्तंभ (Flag Mast) लगाया जाना अनिवार्य है
  • पौधरोपण, बैठने की व्यवस्था, पैदल पथ और सौंदर्यीकरण

3. तकनीकी सहायता

योजना के लिए भूमि चयन, डिज़ाइन, संरचना और निगरानी के लिए भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी और सैटेलाइट इमेजिंग का उपयोग किया जाता है।


अमृत सरोवर योजना के लाभ

1. जल संरक्षण में सहायता

जलाशयों के निर्माण से वर्षा जल संचयन की व्यवस्था सुदृढ़ होती है जिससे जल संकट में कमी आती है।

2. पर्यावरणीय लाभ

सरोवरों से आसपास के पर्यावरण को नमी मिलती है, जिससे पौधों और जीव-जंतुओं की वृद्धि होती है।

3. रोजगार सृजन

ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को निर्माण कार्य, पौधरोपण और देखरेख में रोजगार मिलता है।

4. सामाजिक सहभागिता

योजना में सामूहिक श्रमदान (श्रम शक्ति) और समुदाय की भागीदारी बढ़ती है जिससे सामाजिक एकजुटता भी बनती है।

5. कृषि और पशुपालन में लाभ

संचित जल का उपयोग सिंचाई और पशुओं के लिए किया जा सकता है जिससे किसानों को राहत मिलती है।


अमृत सरोवर योजना की उपलब्धियाँ

1. तीव्र कार्यान्वयन

कुछ ही महीनों में देश के अनेक जिलों में हजारों सरोवरों का निर्माण एवं जीर्णोद्धार कार्य शुरू किया गया।

2. डिजिटल निगरानी

योजना की प्रगति को पोर्टल पर अपलोड कर डिजिटल प्लेटफॉर्म से ट्रैक किया जा रहा है, जिससे पारदर्शिता बनी रहती है।

3. उदाहरण के तौर पर

उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान और बिहार जैसे राज्यों ने इस योजना के अंतर्गत सराहनीय प्रगति की है।


योजना से जुड़ी चुनौतियाँ

1. भूमि की उपलब्धता

सभी स्थानों पर उपयुक्त भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित करना आसान नहीं होता।

2. वित्तीय संसाधन

कुछ राज्यों या पंचायतों के पास पर्याप्त बजट नहीं होता, जिससे कार्य की गति धीमी हो सकती है।

3. रख-रखाव की समस्या

निर्माण के बाद यदि सरोवरों की देखरेख न की जाए तो वे पुनः उपेक्षित हो सकते हैं।

4. जागरूकता की कमी

कई क्षेत्रों में लोगों को योजना के लाभों की जानकारी न होने के कारण वे इसमें भाग नहीं लेते।


समाधान एवं सुझाव

  • स्थानीय प्रशासन और पंचायतों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाए।
  • जनजागरूकता अभियान के माध्यम से लोगों को योजना के बारे में बताया जाए।
  • स्वयंसेवी संस्थाओं और निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाए।
  • नियमित निगरानी एवं मूल्यांकन के लिए तकनीकी उपकरणों का प्रयोग किया जाए।
  • प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर ग्रामीण लोगों को जल संरक्षण की तकनीक सिखाई जाए।

अमृत सरोवर योजना से संबंधित अन्य योजनाएँ

योजना का नामउद्देश्य
जल शक्ति अभियानजल संरक्षण और भूजल पुनर्भरण
मनरेगाग्रामीण लोगों को रोजगार देना (जलाशय निर्माण में भी)
नमामि गंगे मिशनगंगा नदी और उसकी सहायक नदियों का संरक्षण
अटल भूजल योजनाभूजल स्तर को सुधारने के लिए सामुदायिक भागीदारी

अमृत सरोवर योजना के प्रभाव

  • ग्रामीण जल संकट में राहत
  • स्थानीय पारिस्थितिकी में सुधार
  • ग्राम पंचायतों की सशक्तिकरण
  • राष्ट्रीय स्तर पर जल संचयन की जागरूकता में वृद्धि

निष्कर्ष

अमृत सरोवर योजना एक दूरदर्शी और व्यापक दृष्टिकोण से तैयार की गई जल संरक्षण योजना है जो न केवल ग्रामीण भारत के जल संकट को दूर करने में सहायक है बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक सहभागिता और सतत विकास की दिशा में एक सशक्त प्रयास है।

Leave a Comment